मृत्यु प्रमाणपत्र यह एक जरुरी दस्तावेजो में से एक दस्तावेज है. काफी सारे काम इसके बिना नहीं हो पाते है. जैसे इन्सुरेंस क्लेम करना हो या मरने वाले के अकाउंट से पैसे निकालने हो या पेंशन लेनी हो हर जगह मृत्यु प्रमाणपत्र चाहिए
मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर ही मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी को पेंशन, जीवन बीमा का भुगतान, बैंक खाते में बची राशि का भुगतान मिलता है, लिहाजा अगर डेथ सर्टिफिकेट नहीं है तो मरने वाले शख्स के उत्तराधिकारी को ये भुगतान नहीं मिल पाएगा।
डेथ के बाद से 21 दिन के अंदर आप ऑनलाइन अप्लाई कर सकते है जिसके लिए आपको कोई पैसा नहीं देना होगा
- सेंट्रल गवर्नमेंट की वेबसाइट पर जाये
- एक अकाउंट बनाये
- डेथ फॉर्म भरे
- उसको सबमिट करे
- इसके बाद प्रिंट करे
- साथ में एक एड्रेस प्रूफ ऐड करे (मरने वाले का)
- दो लोगो को विटनेस बनाये (फॅमिली वाले हो या अन्य)
- दोनों से डिक्लेरेशन फॉर्म भरवाए (यहाँ से डाउनलोड करे)
- इसके बाद रजिस्ट्रार के यहाँ जाकर सबमिट करे दें (जिसका एड्रेस फॉर्म के नीचे होता है)
21 दिन के बाद आप ऑनलाइन नहीं कर सकते बल्कि आपको ऑफलाइन में बनवाना पड़ेगा जिसके लिए
- फॉर्म 2 भरे (यहाँ से डाउनलोड करे)
- साथ में एक एड्रेस प्रूफ ऐड करे (मरने वाले का)
- दो लोगो को विटनेस बनाये (फॅमिली वाले हो या अन्य)
- दोनों से डिक्लेरेशन फॉर्म भरवाए (यहाँ से डाउनलोड करे)
- इसके बाद रजिस्ट्रार के यहाँ जाकर सबमिट करे दें
इस वेबसाइट से कई स्टेट के लोग अप्लाई कर सकते है जिनकी लिस्ट इस साइट पर दी गयी है, इसके अलावा आप जन सेवा केंद्र से या अपने स्टेट की वेबसाइट से भी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा सकते है.
केन्द्र सरकार ने 1 अक्टूबर 2017 से डेथ सर्टिफिकेट यानी की मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया है। सरकार के इस फैसले के तहत मृतक की पहचान जानने के लिए आधार नंबर जरूरी होगा, इसके बाद ही मृत्यु प्रमाण पत्र बनेगा। अगर किसी शख्स के पास आधार कार्ड नहीं है और उसकी मौत हो जाती है तो फिर उसके परिवार वाले उसका डेथ सर्टिफिकेट नहीं बना पाएंगे। डेथ सर्टिफिकेट ना होने की हालत में मृतक के उत्तराधिकारी को उसके नाम से चल रही पॉलिसियों का फायदा नहीं मिल पाएगा।